महिलाओं के शरीर पर पुरुषों का हक़ होता है!! वर्तमान में ऐसी मानसिकता वाले लोगों का मिलना हमारे समाज में एक आम बात है या फिर हमने इसे आम मान लिया है। महिलाओं के साथ वर्तमान में जितने भी अपराध हो रहे हैं,उनमें से अधिकतर अपराध के कारणों में "यौन हिंसा" सबसे प्रमुख कारण है। लेकिन हमारे पूर्वज याने हम सब जो कि 'होमो सेपियन्स' हैं तो इनका पारिवारिक जीवन कैसा था?
युवाल नोआ हरारी की पुस्तक 'सेपियन्स' में इसका जिक्र मिलता है। युवाल ने लिखा है कि कृषि क्रांति से पहले सेपियन्स अपने भोजन की तलाश में एक कबीला बनाकर चलते थे। युवाल लिखते हैं कि," एक स्त्री कई पुरुषों के साथ संसर्ग कर सकती थी,कई पुरुषों के साथ घनिष्ठ संबंध बना सकती थी और समूह के सारे सदस्य दल के बच्चों के पालन-पोषण में मदद करते थे। चूँकि किसी भी मर्द को ये पता नहीं होता था कि उस बच्चों में उसका अपना बच्चा कौन हैं इसलिए मर्द सारे बच्चों से समान मात्रा में सहानुभूति रखते थे।" युवाल आगे लिखते हैं कि," इस प्रकार के समाज में किसी एक बच्चे का जन्म किसी एक पुरुष के शुक्राणु से नहीं बल्कि स्त्री के गर्भ में शुक्राणुओं के जमाव से होता था।"
वर्तमान समाज में ये सब एक ऊट-पटांग की बात हो सकती है? हम 'होमो सेपियन्स' ज़रूर हैं लेकीन हम अपने पूर्वज से बहुत भिन्न हैं। लेकिन एक बात जो यहाँ समझने लायक है वो ये है कि हमारे पूर्वज इतने आदिम होकर भी स्त्री को पुरुष की "व्यक्तिगत संपत्ति" नहीं समझते थे। हम यह भी कह सकते हैं कि हमारे पूर्वज स्त्री के यौन अधिकार के बारे में हमसे ज्यादा उन्मुक्त विचार रखते थे। हाँ,ये सम्भव है कि वो ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें शिकार करने के लिए ऐसे मानव की आवश्यकता थी जोकि सर्वगुण से सम्पन्न हो और इसलिए वो स्त्री को बहुत से पुरुषों के साथ संसर्ग करने के पक्षधर थे।
अक्सर इतिहास में झाँककर हम वर्तमान की बहुत सारी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं(कुछ फेरबदल के साथ)। होमो सेपियन्स ने हमेशा बदलाव देखा है लेकिन स्त्री के यौन जीवन पर ऐसी आजादी हमें इतिहास के बड़े-बड़े साम्राज्यों में देखने को नहीं मिलती है।
स्त्रोत-(सेपियन्स-युवाल नोआ हरारी)
युवाल नोआ हरारी की पुस्तक 'सेपियन्स' में इसका जिक्र मिलता है। युवाल ने लिखा है कि कृषि क्रांति से पहले सेपियन्स अपने भोजन की तलाश में एक कबीला बनाकर चलते थे। युवाल लिखते हैं कि," एक स्त्री कई पुरुषों के साथ संसर्ग कर सकती थी,कई पुरुषों के साथ घनिष्ठ संबंध बना सकती थी और समूह के सारे सदस्य दल के बच्चों के पालन-पोषण में मदद करते थे। चूँकि किसी भी मर्द को ये पता नहीं होता था कि उस बच्चों में उसका अपना बच्चा कौन हैं इसलिए मर्द सारे बच्चों से समान मात्रा में सहानुभूति रखते थे।" युवाल आगे लिखते हैं कि," इस प्रकार के समाज में किसी एक बच्चे का जन्म किसी एक पुरुष के शुक्राणु से नहीं बल्कि स्त्री के गर्भ में शुक्राणुओं के जमाव से होता था।"
वर्तमान समाज में ये सब एक ऊट-पटांग की बात हो सकती है? हम 'होमो सेपियन्स' ज़रूर हैं लेकीन हम अपने पूर्वज से बहुत भिन्न हैं। लेकिन एक बात जो यहाँ समझने लायक है वो ये है कि हमारे पूर्वज इतने आदिम होकर भी स्त्री को पुरुष की "व्यक्तिगत संपत्ति" नहीं समझते थे। हम यह भी कह सकते हैं कि हमारे पूर्वज स्त्री के यौन अधिकार के बारे में हमसे ज्यादा उन्मुक्त विचार रखते थे। हाँ,ये सम्भव है कि वो ऐसा इसलिए करते थे क्योंकि उन्हें शिकार करने के लिए ऐसे मानव की आवश्यकता थी जोकि सर्वगुण से सम्पन्न हो और इसलिए वो स्त्री को बहुत से पुरुषों के साथ संसर्ग करने के पक्षधर थे।
अक्सर इतिहास में झाँककर हम वर्तमान की बहुत सारी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं(कुछ फेरबदल के साथ)। होमो सेपियन्स ने हमेशा बदलाव देखा है लेकिन स्त्री के यौन जीवन पर ऐसी आजादी हमें इतिहास के बड़े-बड़े साम्राज्यों में देखने को नहीं मिलती है।
स्त्रोत-(सेपियन्स-युवाल नोआ हरारी)
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