प्रेम में दुःख चाहिए

कोई मुझे बताएगा
कि प्रेम में सुख इतना कम क्यों है?

प्रिये,
मुझे दुःख ही चाहिए
ये सुख बहुत कपटी है
जो मुझे सुकून देता है
आनंद भी देता है
संतोष भी
लेकिन लगता है
ये सब साजिश है
मुझे तुमसे दूर करने को

और देखो न दुःख कितना सत्य है
एक पल को भी मुझे तुमसे दूर नहीं करता है
कभी आंसुओं में तुम्हारी फिक्र करता है
कभी उदास चेहरे से
तुम्हारी नींद अच्छे से आये
इसपर विचार करता है
कभी खुदपर झल्लाता है
ताकि तुमसे खुशी से बात कर सके

आलिंगन करना
भी एक साजिश है
मुझे तुमसे दूर करने को
इसलिये जब तुम जाती हो तो मैं
पीछे नहीं मुड़ता और अपनी मुट्ठी को बांधकर
उस साजिश को टाल देता हूँ।

चूमना उससे भी बड़ी साजिश है
सारी चिंताएं ख़तम कर देता है
इसमें इतना आनंद है
कि मैं केवल तुम्हारे शरीर को सोचने लगता हूँ।

प्रियतम
मुझे तुम्हारे प्रेम में केवल दुःख चाहिए
इतना दुःख कि
तुम्हारा केवल
तुम ठीक हो?
कहना मुझे
उतनी तृप्ति दे
जितना दो प्रेमी वासना की आग में तपकर
प्राप्त करते हैं।

मुझे तुम्हारा चुम्बन नहीं चाहिए
मुझे तुम्हारा आलिंगन नहीं चाहिए

मुझे केवल तुम्हारी चिंताएं चाहिए
ताकि मैं उसे तुमसे दूर करते हुए
खुश रह सकूँ
मुझे तुम्हारी माथे की सिकन चाहिए
तुम्हारे माथे में चलने वाली उधेड़बुन दे दो

मैं सबसे मिलूँगा
तुम्हारे प्रेम में रहते हुए मैंने जो
विश्वाश पाया है
उसके भरोसे मैं कह सकता हूँ
कि वो सब व्यथाएँ
बह जाएंगी
मेरे आंसुओं के समंदर को देखकर

मुझे प्रेम में दुःख चाहिए
ताकि मैं जब तप कर निकलूँ
तो दुनिया की सारी विपत्तियों का
सामना कर सकूँ
डट कर।

✍️नीतीश




Comments