रात के बिल्कुल बारह बज चुके हैं। लैपटॉप के स्क्रीन के राइट कार्नर में सबसे नीचे 00:00 दिख रहा है। लेकिन इस लाइन को लिखने से पहले ही 00:01 हो चुका था। मन तंग है आज। कुछ दिन से लता को बहुत सुना। हर दिन लाइब्रेरी से लौटते वक्त सीपीएस से कावेरी पहुंचने तक आठ से दस मिनट का समय लगता है और इस बीच लता, साहिर की दो लिरिक्स को गुनगुना देती है। (31/07)
जी करता है कहीं दूर चला जाऊं। (01/08)
कविता अब नहीं है मेरे पास। लेकिन उसकी आहट आने पर ही कुछ लिखता हूँ। लगता है कि मेरे अंदर से कविता आ रही है लेकिन दो लाइन लिखने के बाद मिटा देता हूँ और फिर ब्लॉग लिखने लगता हूँ। कभी-कभी लगता है कि अच्छा है कि कविता नहीं है। अब सुबह-सुबह 123 आते वक्त गार्ड को गुड मॉर्निंग बोलते हुए मुस्कुरा करके ग्रीट करता हूँ। वो नेपाल से है। जेएनयू में किसी भी गार्ड को एक जगह पर दस दिन से ज्यादा नहीं रहने देते हैं। बीएचयू में ऐसा नहीं था। जेएनयू में रात को ड्यूटी करने वाले गार्ड बहुत अकेले हो जाते हैं। बस उन्हें हेलो बोलिये वो बहुत कहानी सुनाते हैं। नेपाल वाले से पूछा कि खाना खाए? उन्होंने कहा, हाँ खा लिए। क्या खाए? दाल चावल। कभी हमे भी खिलाइये। अरे भैया आप ये थोड़े ही खाएंगे। हमने कहा हम यही खाते हैं। और फिर कल मिलते हैं, कहके निकल गया। फ्रीडम स्क्वायर पर मिलने वाले गार्ड से पूरे एक घंटे से ज्यादा देर तक बात किया। उसकी पूरी हिस्ट्री पता चल गई। दो भाई, दो बहन। एक बेटा, एक बेटी। बेटा जेएनयू में एड्मिसन लेने की तैयारी कर रहा है। वो थोड़ा प्रोग्रेसिव था और स्टूडेंट्स के स्ट्रगल को अपरिशिएट कर रहा था। साईक्लोप्स (जेएनयू में सिक्योरिटी की जिम्मेदारी इसी कंपनी के पास है) को काफी क्रिटिसाइज कर रहा था। एक जो विवेकानंद स्टेचू के पास मिला वो कारगिल वॉर की सच्चाई बता रहा था और श्रीलंकन वॉर में इंडियन आर्मी के डिप्लॉयमेंट की ढेर सारी कॉन्सपिरेसी थ्योरी।
रात के बारह बजकर इकतालीस मिनट हो चुका है। मैंने शैलेन्द्र के लिरिक्स को लगा दिया। रात होते ही 123 एकदम खूबसूरत दिखने लगता है। मैं बता नहीं सकता कि मुझे यह जगह कितना पसंद आ चुका है। जब-जब मैं यहाँ अकेला बचता हूँ तो बैकग्राउंड में गाने लगा देता हूँ। और इसके फ़िज़ा में एक रोमांटिसिज्म आ जाता है। अब जी करता है कि एक हीटर लाकर यहाँ रख दूँ और लॉकर में चीनी, पत्ती, कुछ निम्बू, नमक और रोमांटिसिज्म को एक लेवल पर बढ़ाने के लिए कभी-कभी चाय बनाया जाय। फिर लता, साहिर, शैलेन्द्र, रफी, और चाय और यह 123 (05/08/2021) ।
And I thought you study all this time :p
ReplyDeleteI can't study without this. 😔
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ReplyDeleteGramophone le lijie. Usme lata aur rafi ko sunkar anand lijie.
ReplyDeleteKitne ka aata h? Budget ka khyal rakhna pdega...😀
Delete4000 का आएगा. [आपको ख़याल रहता है बजट का. You can manage.]😁
Deleteमज़ा आएगा original रिकॉर्ड सुन के.
एक बार रिसर्च में दाखिला मिल जाये फिर।
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