दिल्ली डायरीज: सेवेन्टीन्थ

रात के आठ बजकर पचपन मिनट हो चुका है। आज फिर थोड़ा पहले लिखने बैठा हूँ। अब तो बहुत खुलकर हँसना चाहता हूँ लेकिन हँसी बिल्कुल भी नहीं है। जी करता है कि कुछ दिन के लिए पढ़ाई बन्द कर दूँ और कहीं दूर किसी गाँव मे अजनबियों से बात करूँ। जेएनयू को मैंने कितना बड़ा यूटोपिया बनाया है। सच बताऊँ तो जी करता है कि एडमिन को तब तक घेर कर रखूँ जब तक कि होस्टल न दे दे। कल लाइब्रेरियन का ऐसी का तार काट दूँगा। खुद ऐसी में रहती है लेकिन बच्चे गर्मी में पढ़ते हैं। पूरा का पूरा हेलेन केलर यूनिट अस्त व्यस्त रहता है। आधे बेंच पर कुर्सियाँ तक नहीं रहती है। इतनी बेहतरीन यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी को कबाड़खाना बना दिया है। कल लाइब्रेरियन के ऐसी की तार कटेगी या फिर हमारा ऐसी चलेगा। 

रिंग रोड पर बैठा हूँ। रीडिंग रूम से निकलकर अभी बारह बजकर छः मिनट हुआ है। गाने में श्वेता का प्लेलिस्ट सुन रहा हूँ। अंग्रेज़ी और हिंदी गाने का अच्छा कलेक्शन है यह। लेकिन मैं अभी भरपाई करने के मूड में हूँ इसीलिए केवल अंग्रेज़ी वाला सुन रहा हूँ और हिंदी को स्किप कर देता हूँ। मैंने अपनी भाषा वाली कहानी सुनाई है या नहीं? शायद यहाँ पर नहीं। लेकिन आज मन नहीं कर रहा है इसे लिखने को। 

कुछ चीज़ें और भी लिखना चाहता हूँ लेकिन पता नहीं लिख पाउँगा या नहीं। 123 को शायद अलविदा कह दूँ लेकिन जी नहीं कर रहा है। इतना तो मोहब्बत था मुझे उस जगह से। हम कहीं से जाते हैं, इसका आभास भी तो तब ही होता है जब हम अपनी पसंद की चीज़ से दूर होते हैं। 123 से बहुत इश्क़ है मुझे। शायद 123 से ज्यादा उस सुकून से था जहाँ डिनर के बाद अक्सर कोई नहीं रहता था और केवल मैं बचता था। अभी उस प्लेलिस्ट से "व्हाट कलर इज योर रेनड्रॉप' बज रहा है। इस गाने की म्यूजिक बहुत अच्छी है। इससे पहले का लिरिक्स अच्छा था। "कॉल इट ड्रीमिंग" है यह। मैंने बैक करके फिर से इसे लगा दिया। 

कमरा वापस जा करके क्या ही होगा? नींद तो तब ही आती है जब आने को हो। बस सोने से पहले खुद को थका देना चाहता हूँ ताकि बिस्तर पर जाने के बाद पुरानी यादें बदन पर चुभे न। 

लव यू 123❤️ शायद फिर कभी लौट जाऊं। 

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